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This time Kumbh mela will run from 15th January to 4th March

  • Writer: Dainik Bhaskar Hindi
    Dainik Bhaskar Hindi
  • Jan 9, 2019
  • 2 min read

इस बार कुंभ 15 जनवरी से लेकर 4 मार्च तक चलेगा


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This time Kumbh mela will run from 15th January to 4th March

NEWS HIGHLIGHTS

  • कुंभ की शुरुआत मकर संक्रांति को पहले स्नान से होगी प्रयागराज में हो रहे इस कुंभ मेले में 6 प्रमुख स्नान तिथियां होंगी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। इस बार कुंभ 15 जनवरी से लेकर 4 मार्च तक चलेगा, प्रयागराज में हो रहे इस कुंभ मेले में 6 प्रमुख स्नान तिथियां होंगी। कुंभ की शुरुआत पहले 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति से लेकर 4 मार्च महा शिवरात्रि तक चलेगा। यहां जानिए पूरे 50 दिन चलने वाले इस अर्द्ध कुंभ की सभी महत्वपूर्ण स्नान तिथियां।

मकर संक्रांति 

  • कुंभ की शुरुआत मकर संक्रांति को पहले स्नान से होगी। इसे शाही स्नान और राजयोगी स्नान भी कहा जाता है। इस दिन संगम, प्रयागराज पर विभिन्न अखाड़ों के संत की पहले शोभा यात्रा निकलेंगी और फिर स्नान होगा। माघ महीने के इस पहले दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करतें है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रान्ति कहा जाता हैं। कई लोग इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ दान भी करते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधिपुर्बक सुबह कुम्भ स्नान करता है तो उसे मोक्ष प्राप्त होता है। वहीं, इस दिन से सभी शुभ कार्यों का आरंभ हो जाता है। इस दिन संगम पर सुबह स्नान के बाद अर्धकुंभ का अनौपचारिक आरंभ हो जाता है। इस दिन से कल्पवास भी आरंभ हो जाता है प्रयाग का कुम्भ मेला सभी मेलों में सर्वाधिक महत्व रखता है। मेले की तिथि की गणना करने के लिए सूर्य, चन्द्र और बृहस्पति की स्थिति की आवश्यकता होती है। इलाहाबाद की इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवानश्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारहस्वरूप विद्यमान हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव स्वमं अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है इसी दिन महाभारत काल में भीष्म पितामह ने त्यागी थी अपनी देह। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। इसलिए संक्रांति का पर्व मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन तिल-गुड़ के सेवन का साथ नए जनेऊ भी धारण करना चाहिए। भारत में कुंभ मेले को लेकर लोगों में काफी आस्था है। कुंभ को सबसे बड़े शांतिपूर्ण सम्मेलन के रूप में जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह हर 12 साल में आयोजित होता है। कई अखाड़ों के साधु और लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं। कुंभ को धार्मिक वैभव और विविधता का प्रतीक भी माना जाता है। Source: Bhaskarhindi.com

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