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Til dwadashi fast On Feb 1, Learn Worship Method & Importance

  • Writer: Dainik Bhaskar Hindi
    Dainik Bhaskar Hindi
  • Jan 31, 2019
  • 2 min read

1 फरवरी को है तिल द्वादशी का व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व

Worship Method and Importance
Til dwadashi fast On Feb 1 2019

माघ मास की कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को तिल द्वादशी का व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 1 फरवरी 2019 को मनाया जाएगा। इस दिन विशेषरूप से भगवान विष्णु का पूजन तिल से किया जाता है तथा पवित्र नदियों में स्नान व दान करने का महत्त्व होता है। वहीं इस बार अर्ध कुम्भ होने के कारण इस का महत्त्व तो और विशेष हो जाता है। प्रयागराज में आस्था का ऐसा जमघट लग रहा है जिसे देखने के लिए न सिर्फ भारत बल्कि सात समंदर पार से सैलानी आएंगे। रोशनी से नहाई हुई पंडालों की नगरी और घंटा-घड़ियालों के साथ गूंजते वैदिक मंत्र और धूप-दीप की सुगंध से पूरा प्रयागराज महक रहा है। आस्था के इस महा मेले में शाही स्नान और अन्य कई आयोजन हो रहे हैं। ऐसा धार्मिक-आध्यामिक अनुभव शायद ही कहीं मिले।

शुभ फलों की प्राप्ति इस दिन मनुष्य को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। हमारे धार्मिक पौराणिक ग्रंथ पद्म पुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने मात्र से होती है। अत: सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए प्रत्येक मनुष्य को माघ स्नान अवश्य ही करना चाहिए। महाभारत में उल्लेख आया है कि जो मनुष्य माघ मास में संतो को तिल दान करता है, वह कभी नरक का भागीदार नहीं बनता है।

व्रत का पालन माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से मनुष्य को राजसूय यज्ञ के सामान फल प्राप्त होता है। अतः इस प्रकार माघ मास में तिल द्वादशी का व्रत एवं स्नान-दान की अपूर्व महिमा है। इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप किया जाता है। वैसे तो शास्त्रों में माघ मास की प्रत्येक तिथि पर्व विशेष मानी गई है। यदि किसी स्थिति के कारण पूरे माह का नियम न निभा सके तो उसमें यह व्यवस्था भी दी है कि 3 दिन अथवा 1 दिन माघ स्नान का व्रत का पालन करें।

'मासपर्यन्तं स्नानासम्भवे तु त्र्यहमेकाहं वा स्नायात्‌।'

इतना ही नहीं इस माह की तिल द्वादशी का व्रत भी एकादशी की तरह ही पूर्ण पवित्रता के साथ मन को शांत रखते हुए पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से करता है तो यह व्रत उस जातक के सभी कार्य सिद्ध कर उसे पापों से मुक्ति प्रदान करता है।

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